बहुत बनिहया झिलमिल हेते सुकरात
बहुत बनिहया सुहान झिलमिल हेते सुकरात,
सवका खेतेपिते दारु भाङ्ग सेकुवा मासुभात,
पान खेते जिहा लाल कर्ते खेल ते जुवा तास,
आगुपाछु कोइ नहि सोचते थारुसव हेतै बरबाद,
सवहै घरमे लेवोस कहछुन लक्ष्मी माता बास,
मोरङ सुनसरी के युवायुवती के छु आशीर्वाद,
बहुत झन कहल्के happy दिपावली सुकरात,
आजुकालू कर्तेकर्ते बितिजेते आखिर सुकरात,
सुकरात ओरते छैंठ एते कर्ते सुरुज के उपास,
बहुतबहुत आपन धर्मकर्ममे छे थारुके बिस्वास,
शुभ सुकरात छैंठ एकादशी के भि छु शुभकामना,
करि देवोस सवहैके पूरा लक्ष्मी माता मनोकामना,
मान्है पर्तु खेल्है पर्तु कर्है पर्तु धर्म कर्म से सामना,
सवना संगी बहेन्जी के छु सुकरात के शुभकामना,
थारु युवा साहित्यकार सुरेश चौधरी खुनियाँकटा,

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